॥ श्री गणपतीची आरती ॥

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।

सर्वांगी सुन्दर उटि शेंदुराची।

कण्ठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।

दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥

रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा।

चन्दनाची उटि कुंकुमकेशरा।

हिरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा।

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।

दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बन्धना।

सरळ सोण्ड वक्रतुण्ड त्रिनयना।

दास रामाचा वाट पाहे सदना।

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवन्दना॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।

दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥